“मैं मर जाऊँ तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना “कुछ टूटे तो उसे सजाना सीखो, कुछ रूठे तो उसे मनाना सीखो, रिश्तों को निभाने का हुनर सीखो, तन्हाई में रह कर मुस्कुराना सीखो।” “मेरे अकेलेपन का यही सबब है, कोई साथ नहीं और तन्हाई कभी कम नहीं।” अहमद फ़राज़ https://youtu.be/Lug0ffByUck