काव्य धारा की एक शाखा को संत काव्य धारा कहा जाता है। कबीर दास भक्ति काल की 'संत काव्य धारा ' धारा के कवि थे। इसे ज्ञानाश्रयी काव्य धारा भी कहा जाता है। वह व्यक्ति जिसने संत रूपी परम तत्त्व को प्राप्त कर लिया हो, वही संत है। कबीर ने जनजीवन से जुड़े इसी आवश्यक सत्य की अभिव्यक्ति की है। https://sahityanama.com/Poet-of-Nirguna-Bhakti-%E2%80%93-Kabir